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दशगात्र क्या होता है और कैसे किया जाता है

Post by - Pt. Mukesh Paliwal

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दशगात्र क्या होता है और कैसे किया जाता है इसका विवरण दे रहे हैं यह क्रिया अंतिम संस्कार से तीसरे, चौथे या पांचवे दिन से आरंभ होती है जिसे दशगात्र कहा जाता है, कभी कभी समय के अभाव में दशवें दिन भी किया जा सकता है, दशगात्र में पिंड तर्पण किया जाता है, जिसकी प्रक्रिया हम आपको बताने जा रहे हैं, अंतिम संस्कार से तीसरे दिन से कर रहे हैं तो उस दिन 3 पिंड दिए जायेंगे, यदि चौथे दिन से तो 4 पिंड और यदि पांचवे दिन से तो 5 पिंड दिए जायेंगे, यदि समय का अभाव हो तो दशवे दिन 10 पिंड देने है|

अब पिंड देने की प्रक्रिया बता रहे हैं
एक थाली में जौ का आटा लें उसमें थोड़े काले तिल, थोड़ा शहद, थोड़ा घी, थोड़ा कच्चा दूध मिला कर पानी डाल कर टाइट आटा गूंथे और उसके पिंड बना लें | आटा उतना ही लें जितने पिंड बनाने है, 1 पिंड के लिए एक मुट्ठी आटा काफी होता है, पिंड तैयार करनेके बाद एक दोने में थोड़ा शहद निकालें, एक दोने में थोड़ा घी, एक दोने में गंगाजल, एक दोने में कच्चा दूध करके रखें, अब अपने सामने जमीन पर बड़ या ढाक का पत्ता रखें (जितने पिंड देने हैं उतने पत्ते रखें) पत्ते के ऊपर एक कुशा का टुकड़ा रखें उसके ऊपर थोड़ा जल छोड़ें, फिर पिंड उस कुशा पर रखें, अब पिंड के ऊपर थोड़ा जल छोड़ें, फिर कच्चा सूत तोड़ कर पिंड पर चढ़ाएं, उसके बाद पिंड पर चंदन लगाएं और काले तिल और फूल चढ़ाएं उसके बाद पिंड पर शहद और घी लगाएं और थोड़ा कच्चा दूध चढ़ाएं , उसके बाद गंगाजल का दोना और दूध का दोना पिंड के पास रखे, और दिवंगत से कहें की आप श्मशान की अग्नि से दग्ध हुए हो और बांधवों ने आपका त्याग किया है, यह दूध है और यह जल है दूध से स्नान करो और जल को पियो

संस्कृत का उच्चारण
श्मशान अनल दग्धोसी परित्यक्तोसि वांधवे
इदम क्षीरम, इदम नीरम, अत्र स्नाही, इदम पिव

नोट : सीधे हाथ के अंगूठे से यह दूध है कहने पर दूध का दोना छुएं, यह जल है कहने पर गंगाजल का दोना छुएं

इसके बाद दो भगोनी लें 1 भगोनी में जल और एक भगोनी खाली रखें जल वाली भगोनी में कच्चा दूध, गंगाजल, शहद, काले तिल डाल लें और उस जल से पांच अंजली जल खाली भगोनी में दें, जल सीधे हाथ के अंगूठे और उसके पास वाली उंगली के बीच से खाली भगोनी में छोड़ें इसे पितृ तीर्थ कहते हैं , जब पांच अंजली जल देतें है तो अगले दिन से दशवे तक प्रति दिन दो दो अंजली बढ़ाकर जल देना है जैसे 5, 7, 9, 11 इत्यादि किंतु जब पहली बार तीन या चार या पांच पिंड देते हैं तो अगले दिन से प्रतिदिन एक एक ही पिंड देते हैं जलांजलि बढ़ाकर देनी पिंड नही दसवें तक और दशवें को जौ के आटे का पिंड न देकर उर्द के आटे का पिंड देना चाहिए

इसके बाद हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से प्रार्थना करनी है
अनादिनिधनो देव, शंख चक्र गदाधर।
अक्षय पुण्डरिकाक्ष्य, प्रेतमोक्ष प्रदो भव:।।

दशगात्र (पहले दश दिन किया जाने वाला कार्य) पिंड के लिए सामिग्री
जौ का आटा 1 किलो, शहद की शीशी 1 छोटी, काले तिल 50 ग्राम, चंदन 1, कुशा, घी, गंगाजल, कच्चा दूध 50 ग्राम प्रतिदिन, दोना का पेकिट 1 , बड़ या ढाक के पत्ते 10, कच्चा सूत की अडीया 1, उर्द की दाल का आटा 50 ग्राम, पुष्प


डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Allsearch.in इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।